परफ़ीशानी...

परफ़ीशानी… परफ़ीशानी गर मयस्सर होजाए तुझे … तो हेवा भी ताबे हो जाय तेरे ………….. परफ़ीशानी ( सांसारिक सुखो का त्याग ) -एम साजिद ...
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इर्तिज़ा…

इर्तिज़ा… इर्तिज़ा हु में इस मशक्त – ए – हयात से … बस रज़ा मिले मुझे रब की… इस हयात से ! इर्तिज़ा ( खुश होना ) -एम साजिद ...
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