उनका कोई सानी नहीं

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  • उनका कोई सानी नहीं हमसर नहीं
    उनसा कोई दाना नहीं दीखता हमें.!

    अहकाम-ए-हक़ जिनका कभी छूटा नही
    ऐसा नहीं इस दौर में दीखता हमें ..!

    दामन मेरा अब छोड़ दे तू ऐ जहां..!
    तुझ सा कोई ज़ालिम नहीं मिलता हमें

    क्यों रहु इन लज़्ज़तों में मुब्तला
    मुँह मोड़ लेगा तू ही कहता हमें.!

    -एम साजिद
    4 : दुनिया

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