फितने : 001

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  • हज़रत औफ़ बिन मालिक अशजई रज़ि० फ़रमाते है कि रसुलुल्लाह सल्ल० ने मुझ से फ़रमाया ऐ औफ़ याद रखना क़यामत से पहले छ: फितने रूनुमा होंगे |

    अव्वल: मेरी वफ़ात | इस पर मै रो पड़ा तो रसुलुल्लाह सल्ल० ने मुझे ख़ामोश किया | फिर फ़रमाया

    दोम: फ़तहे बैतूल मुक़द्दस |

    सोम: वह मौत जो मेरी उम्मत में इस तरह होगी जैसे बकरियों की बीमारी लगने के बाद बहुत सारी बकरियों कि एक दम मौत आ जाती है |

    चहारुम: वह फितना जो मेरी उम्मत में रूनुमा होगा |

    पंजुम: तुम्हारे अंदर माल कि इस क़दर बोहतात हो जाएगी कि आदमी को सौ दीनार दिया जाए उस पर भी वह राज़ी न होगा |

    शुशुम: तुम्हारे और रुमियो के दर्मियान सुलह हो जायगी फिर वह तुम से आकर जंग करेंगे उस रोज़ मुसलमान दमिश्क़ के इलाक़ए गोता में होंगे |

    (सहीह बुख़ारी: 6/277, इब्ने माज़ा: 42,4)

    गलतियों को अल्लाह माफ़ फ़रमाय

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