तौबा...

Posted on
  • by
  • The Straight path
  • in


  • जब हम से कोई गलती हो जाय और हम उस गलती को मानने के लिए तैयार ना हो बल्कि अपनी गलती को सही साबित करने की कोशिशि में लग जाय और अपने साथियो की हिमायत से खुद उन लोगों से लड़ने लगे जो हमें हमारी गलती से आगाह कर रहे है जब हम अपनी गलती पर इस तरह अकड़ते है और जो लोग हमारा साथ देते है तो हम और हमारे हिमायती अल्लाह के नज़दीक बदतरीन मुजरिम हो जाते है हम अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए जिन अल्फाज़ का सहारा लेते है वह अलफ़ाज़ आख़िरत में बिलकुल बे-हैसियत साबित होंगे और जिन हिमायतियों पर हम भरोसा और घमंड कर रहे है वह हमारे लिए कुछ काम ना आ सकेंगे|

    गलती को मानकर तौबा करना बेहतरीन अमल है |

    0 comments:

    Post a Comment

     
    Copyright (c) 2010. The Straight Path All Rights Reserved.