लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-04

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    इस बिना पर असल में यह लफ्ज़ “वलाहू” था “बाब” को हमज़ा से बदल दिया गया जैसे की ‘वशाह’ और ‘वसादत’ में ‘इशाह’ और ‘इसादा’ कहते है! इमाम राज़ी का कौल है की यह लफ्ज़ ‘अलहतु इला फ़ुलानिन’ से बना है जो की मायने में “सुकून ओ राहत” के है, यानी मैंने फुलां से सुकून और राहत हासिल की, चूँकि अक्ल का सुकून सिर्फ़ अल्लाह की ज़ात के ज़िक्र की तरफ से और रूह की हक़ीक़ी ख़ुशी उसी की मारिफ़त (पहचानने) में है, इसलिए कि हर तरह से वही कामिल है, उसके सिवा कोई और नहीं ! इसी वजह से ‘अल्लाह’ कहा जाता है ! कुरआन में है :


    यानी ईमान वालों के दिल सिर्फ़ अल्लाह के ज़िक्र ही से इत्मीनान हासिल करते है

    to be cont...



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