आखिरत – ए – मुस्तईद्दी

आखिरत – ए – मुस्तईद्दी को बना मुकद्दर … तब कही जाकर …….मंजिले मक़सूद मिले ! ( मुस्तईद्दी / तैयारी ) -एम साजिद ...
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तहज्जुर...

तहज्जुर बन गए है लोगछोड़ कर…..राहे निजात ( तहज्जुर / पत्थर की तरह कठोर होना )-एम साजि...
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ज़ोईन्द

ज़ोईन्द है बशर मकामे अम्न का………..ये इस जहा की शे नहीं ! नफ्स को मार, फ़ना को पहुच, वर्ना तू इस शे का तलबगार नहीं !!  (ज़ोईन्द / ढूढने वाला,   मकामे अम्न / सुकून ओर आराम की जगह,   फ़ना / रब की याद में खुद को भूल जाना)  -एम साजिद  ...
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कलाम-ए-रब

कलाम-ए-रब ... जिसके पास है  अब उसी को रहबरों की तलाश है  मेरे घर में बा-कमाल-ए चिराग है  मुझे रौशनी….……... की तलाश है -एम साजिद  ...
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मग़रिब-ए-दाज़

ऐ साजिद ………मग़रिब-ए-दाज़ ने घेरा है तुझे  डर के चल…हशर नदामतज़द ना कर जाए तुझे ( दाज़ / घोर अँधेरा, नदामतज़द / लाज्जित ) -एम साजिद...
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कोहतअंदेशी…

कोहतअंदेशी में खुद को ………..जला बैठे…! कमाल-ए-फन तो ये था, रब को मना के जाते…! ( कोहतअंदेशी / मुर्खता ) -एम साजिद...
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फुतादगी

फुतादगी इख्तियार कर ली इंसा ने देखो !परिशबे इंसानियत……….भूल कर देखो ! (फुतादगी / गिरा हुवा , परिशबे / बीती हुई परसों वाली रात) -एम साजिद...
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बागे अदन...

बागे अदन का है ....तू मुन्तजिरभूल कर ऐ साजिद नारे जहन्नम(बागे अदन / स्वर्ग )-एम साज...
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खाकिश्तर…

इस सफरे ज़िन्दगी में खाकिश्तर है ……बेशुमार  ऐ साजिद डर है तू आखिरत में न हो जाए ख्वार  ( खाकिश्तर / ऐसा अंगारा जिस में अन्दर आग हो ओर बाहर राख़ ) -एम साजिद...
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शफ़ाअत…

मुतमइन है तू साजिद जो उन की शफ़ाअत पर  पूछ ज़रा क्या गुज़री तेरे जद्देअम्ज़द ………पर -एम साजिद...
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लोटो…वापस…

नेक फर्जिम हो रहे …………………… बेअक्ल  छोड़कर कुरआन को लगे दुनिया में ….बेअस्ल  (नेक फर्जिम / नेकदिल , बेअस्ल / निराधार) -एम साजिद...
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