तौबा...

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सहुलियतें

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रहबर ...

जो लोग सारी दुनिया को राह दिखाने वाले थे क्या वो आज खुद भटक रहे है .... ? कुरआन को इमाम बनाना एकमात्र रास्ता है, जिसका इमाम कुरआन है वही हक पर है, बाक़ी दुनियापरस्तों की पहचान इतनी मुश्किल भी नहीं ........ दरअस्ल हमसे दुनिया की लाज्ज़तें नहीं छूट रही ! ...
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माबूद ..

इंसान अपनी फ़ितरत और अपने हालात के लिहाज़ से एक इसी मख्लूक है जो हमेशा अपने लिए एक सहारा चाहता है, एक एसी हस्ती जो उसकी कमियों की तलाफ़ी करे, और उसके लिए एतमाद और यकीन की बुनियाद हो, किसी को इस हैसियत से अपनी ज़िन्दगी में शामिल करना अपना माबूद बनाना है | इस मौजूदा दुनिया में अल्लाह नज़र नहीं आता, इसलिए इंसान आमतौर पर नज़र आने वाली हस्तियों में से किसी हस्ती को वह मकाम दे देता है जो दरअसल अल्लाह का होना...
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बाग़

आदमी जवानी की उम्र में बाग़ लगाता है ताकी बुढ़ापे की उम्र में उसका फल खाए, फिर वह शख्स कैसा बदनसीब है जिसका हरा-भरा बाग़ उसकी आख़िरी उम्र में ऐन उस वक़्त बर्बाद हो जाए | जबकि वह सबसे ज़्यादा उसका मोहताज हो और उसके लिए वह वक़्त भी ख़त्म हो चूका हो जबकि वह ना बाग़ लगाए, उसे नए सिरे से तैयार करे, क्या रियाकारी...
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दाई

किसी को अल्लाह की तरफ़ से सच्चाई हासिल हो और वह उसका दाई बनकर खड़ा हो जाय तो लोग उसके मुखालिफ़ बन जाते है क्योके उसके आह्वान में लोगो को अपनी हैसियत का नकार दिखाई देने लगता है | ...
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दस्तरख्वान

दुनिया दो किस्म की गिज़ाओ का दस्तरख्वान : एक इंसान वह है : जिसकी रूह की गिज़ा यह है के वह अपनी ज़ात को नुमाया होते हुवे देखे दुनिया की रौनके अपने इर्द-गिर्द पाकर उसे ख़ुशी हासिल होती हो, माद्दी साजोसामान का मालिक होकर वह अपने को कामयाब समझता है, ऐसा आदमी खुदा और आखिरत को भूला हुवा है | उसके सामने खुदा...
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सिफारिश

कायनात में मुख्तलिफ किस्म की चीज़े है इल्मी मुताला बताता है के इन चीजों का ज़हूर एक ही वक़्त में नहीं हुवा बल्कि एक के बाद एक हुवा है, कायनात का मुताला बताता है की इस कायनात का निजाम हद दर्जा मोहकम नियमों के तहत चल रहा है हर चीज़ ठीक उसी तरह अमल करती है जिस तरह सामूहिक तकाज़े के तहत उसे अमल करना चाहिए...
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शफ़क़त

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चलने को तैयार होना चाहिए

पलकों में थोड़ी हया, यार होना चाहिए !! इश्क़-ए-हक़ीक़ी से हमें, दो-चार होना चाहिए! चेहरा बदलकर जी रहे है, लोग ज़ुल्मत में यहाँ! खोल आँखे दिल की अब, बेदार होना चाहिए !! हसरतें और ख्व़ाब मेरे आसुओं में गुम हुवे !! अब हमें दुनिया से फिर, बेज़ार होना चाहिए! बज़्म-ए-दुनिया...
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उम्मीद अमन की

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