इंसान अपनी फ़ितरत और अपने हालात के लिहाज़ से एक इसी मख्लूक है जो हमेशा
अपने लिए एक सहारा चाहता है, एक एसी हस्ती जो उसकी कमियों की तलाफ़ी करे, और
उसके लिए एतमाद और यकीन की बुनियाद हो, किसी को इस हैसियत से अपनी ज़िन्दगी
में शामिल करना अपना माबूद बनाना है |
इस मौजूदा दुनिया में अल्लाह नज़र नहीं आता,
इसलिए इंसान आमतौर पर नज़र आने वाली हस्तियों में से किसी हस्ती को वह मकाम दे देता है जो दरअसल अल्लाह का होना चाहिए |
ऐसा इसलिए भी होता है की इंसान के इर्द-गिर्द कुछ ज़ाहिरी रौनक देखकर लोग उसे बड़ा समझ लेते है और कोई अपने ग़ैर मामूली खूबियों से लोगो को मुतास्सिर कर लेता है, और भी बहुत वजह है |
मगर फिक्र की बात ये है लोग अल्लाह के सिवा को अपना माबूद बना लेता है ऐसा करना हमेशा की नाकामयाबी है |
इस मौजूदा दुनिया में अल्लाह नज़र नहीं आता,
इसलिए इंसान आमतौर पर नज़र आने वाली हस्तियों में से किसी हस्ती को वह मकाम दे देता है जो दरअसल अल्लाह का होना चाहिए |
ऐसा इसलिए भी होता है की इंसान के इर्द-गिर्द कुछ ज़ाहिरी रौनक देखकर लोग उसे बड़ा समझ लेते है और कोई अपने ग़ैर मामूली खूबियों से लोगो को मुतास्सिर कर लेता है, और भी बहुत वजह है |
मगर फिक्र की बात ये है लोग अल्लाह के सिवा को अपना माबूद बना लेता है ऐसा करना हमेशा की नाकामयाबी है |
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