तहज़ीब

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  • तूने ज़र्रा-ज़र्रा मेरी तहज़ीब को, कर तो दिया...!!
    याद रहे जिंदा है हम, दिलों की हरारत बाक़ी है अभी...!!
    -एम साजिद

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