तेरे आगे चाँद-तारों की, वक़त कोई नहीं
जहाँनभर में तेरे जैसा मिलता, बशर कोई नहीं
दराज़ पलके उठाए जब वो, ताब लाता कोई नहीं
अपनी नज़रे झुका लो यारों, उनका हमसर कोई नहीं
इस मुहब्बत से अलग मेरी, डगर कोई नहीं
तेरी राह में मिट भी जाऊं, तो फिकर कोई नहीं
-एम साजिद
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