चलने को तैयार होना चाहिए

पलकों में थोड़ी हया, यार होना चाहिए !!
इश्क़-ए-हक़ीक़ी से हमें, दो-चार होना चाहिए!

चेहरा बदलकर जी रहे है, लोग ज़ुल्मत में यहाँ!
खोल आँखे दिल की अब, बेदार होना चाहिए !!

हसरतें और ख्व़ाब मेरे आसुओं में गुम हुवे !!
अब हमें दुनिया से फिर, बेज़ार होना चाहिए!

बज़्म-ए-दुनिया है हक़ीर, इस से नाता तोड़ ले !!
दोस्तों फानी है ये,चलने को तैयार होना चाहिए!

एम साजिद 
 
 

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