The Emigrating Septs of Kahlan Can Be Into Four Groups:

Part 02:  1. Azd: Who, under the leadership of ‘Imran bin ‘Amr Muzaiqbâ’, wandered in Yemen, sent pioneers and finally headed northwards. Details of their emigration can be summed up as follows: 2. Tha‘labah bin ‘Amr left his tribe Al-Azd for Hijaz and dwelt between Tha‘labiyah and Dhi Qar....
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Haj Subsidy Politics

ये काम अच्छा किया सब्सिडी ख़त्म कर दी इतना पैसा खर्च करके भी हम सरकार के एहसान के नीचे दबे पड़े थे और ताने अलग से मिलते थे, वोट पर हक जताने वाली सरकार की चाल भी सब्सिडी के साथ ख़त्म, एयर इंडिया ही से जाने की बंदिशे भी अब ना रहेंगी मुझे उम्मीद है दूसरी एयरलाइन्स बहुत सस्ते में सफ़र करा देगी, सरकार को...
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Thodi sanse ( थोड़ी सांस)

इस दुनिया में तमाम लाज्ज़तों के साथ जो भी हालात और सहुलतें नसीब होती है वो सब महज़ इम्तिहान के वास्ते है, एक वक़्त पर जो की तय किया जा चूका है ये सारी ज़िन्दगी को कायम रखने वाली खुसुसियात ख़त्म कर दी जायंगी, ये ज़मीन सपाट और ख़ाली कर दी जायगी  फिर ना तो मुझे और ना तुझे अकड़ने और घमंड में चलने की इजाज़त...
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Location and Nature of Arab Tribes

Part 01 Location and Nature of Arab Tribes : Beyond a shadow of doubt, the biography of Prophet Muhammad (Peace be upon him) manifestedly represents an exhaustive embodiment of the sublime Divine Message that he communicated in order to deliver the human race from the swamp of darkness and polytheism...
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लफ्ज़ ‘रहमान’ व ‘रहीम’ का बयान 01

लफ्ज़ ‘रहमान’ व ‘रहीम’ का बयान 01 ‘अर्रहमान’ ‘अर्रहीम’ ये दोनों नाम रहमत से मुश्तक़ (निकले) है! दोनों में मुबालग़ा (ज़्यादती) है! ‘रहमान’ में ‘रहीम’ से ज़्यादा मुबालग़ा (यानी सिफ़ते रहमत ज़्यादा) है ! अल्लामा इब्ने जरीर के कौल से तो मालूम होता है की गोया इस पर इत्तिफाक़ है ! बाज़ उलेमा की तफ़सीरो से भी...
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लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-07

लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-07 पस शुरू में जो हमज़ा है वह हज़फ किया गया, फिर पहला ‘लाम’ जो ज़ायद है जो तारीफ़ के लिए लाया गया है असल लाम से मिल गया और एक को दुसरे में इदग़ाम किया गया तो एक ‘लाम’ मुशहद  (तश्दीद वाला) रह गया और अदब ओ ताज़ीम से ‘अल्लाह’ कहा गया! यह तो तफ़सीर लफ्ज़ ‘अल्लाह’ की थी, अब आगे दुसरे...
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मदरसों की तालीम

मदरसों को लेकर किसी वसीम रिज़वी का बयान चर्चाओं मे है, सुनने मे आया है कि अपने सियासी आक़ाओं को ख़ुश करने के लिए उन्होने यह बेसुरा राग अलापा है हालाँकि बेसुरा है पर उनके सियासी आक़ाओं को यही बेसुरा राग पसंद है, यह भी सुना है कि नज़राना बतौर कुछ मिलने की उम्मीद भी वसीम रिज़वी को है, अच्छी बात यह है...
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एक मुसलमान

मेरे जिन क़ाबिल दोस्तों ने साइंस ( फ़िजिक्स, कैमिस्ट्री, लाइफ़ साइंस  ) मे मास्टर डिग्री ( पी जी)  ली है उन्हे कुछ  कन्सेप्ट, थ्योरी, प्रिंसिपल समझ नही आये होंगे इसी तरह साहित्य ( उर्दू, हिन्दी, अंग्रेज़ी)  मे मास्टर करने वालों को कुछ पोयम्स, अश्आर,  पद्य समझ नही आये होंगे,...
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धर्म और हम

आप किसी भी धर्म को तब तक नही समझ सकते जब तक उस धर्म मे आपकी आस्था न हो, आज के दौर की सबसे बड़ी बकवासबाज़ी की असल और इकलौती वजह यही है कि हम सब हर धर्म का विद्वान बनना चाहते हैं, आस्था के बाद दूसरी चीज़ है स्टडी , स्टडी करके आप तबतक किसी धर्म के जानकार नही बन सकते जब तक आपको वो ज़बान महारत के साथ न...
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लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-06

एक दलील इसके मुश्तक़ न होने की कुरआन की आयत 'हल तअलमु लहू समिय्या' (यानी क्या उसका हम-नाम भी कोई जानते हो?) बयान की जाती है, लेकिन यह गौर-तलब है । वल्लाहु आलम । बाज़ लोगों ने यह भी कहा है कि यह लफ्ज़ इबरानी भाषा का है , लेकिन इमाम राज़ी ने इस क़ौल को ज़ईफ़ (कमज़ोर) कहा है और वास्तव में वह है भी ज़ईफ़ । इमाम...
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कुरआन का हर लफ्ज़ अपनी जगह सही

   कुरआन का हर लफ्ज़ अपनी जगह सही: सुनिए  Nouman Ali Khan  को  ...
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लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-05

लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-05 एक कौल यह भी है की यह “ला-ह यलूहु” से निकला है जिसके मायने छुप जाने और पर्दा करने के है, और यह भी कहा गया है की यह “अलाहुल-फ़सील” से है! चूँकि बन्दे उसी की तरफ़ फ़रियाद और ज़ारी से झुकते है, उसी के दामने रहमत को हर हाल में थामते है इसलिए उसे “अल्लाह” कहा गया! एक कौल यह भी है...
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लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-04

लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-04 इस बिना पर असल में यह लफ्ज़ “वलाहू” था “बाब” को हमज़ा से बदल दिया गया जैसे की ‘वशाह’ और ‘वसादत’ में ‘इशाह’ और ‘इसादा’ कहते है! इमाम राज़ी का कौल है की यह लफ्ज़ ‘अलहतु इला फ़ुलानिन’ से बना है जो की मायने में “सुकून ओ राहत” के है, यानी मैंने फुलां से सुकून और राहत हासिल की, चूँकि...
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रिश्वत और सूद

'रिश्वत' लेना जुर्म है , सब मानते हैं, और रिश्वत देना ? वो भी जुर्म है, और रिश्वत के लेन देन मे मध्यस्थता करना ? ज़ाहिर है वो भी जुर्म है , अब अगर कोई कहे कि रिश्वत लेने वालों का, रिश्वत देने वालों का और रिश्वत के लेन देन मे मध्यस्थता करने वालों का बायकाट करो तो यह बात कहने वाला इस वक़्त का समाज सुधारक...
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लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-03

लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-03 बाज़ लोगों का यह कौल भी है की यह मुश्तक़ (दुसरे लफ्ज़ से निकला हुवा ) है और इस पर रुबा का एक शे’र बतौर दलील पेश करते है, जिसमें मस्दर “तअल-ह” का बयान है! जैसे की इब्ने अब्बास से मरवी है की वह : पढ़ते थे ! मुराद इससे इबादत है, यानी उसकी इबादत की जाती है और वह किसी की इबादत नहीं...
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हम वफ़ादार थे, हैं, रहेंगे

' वफ़ादारी ' एक ऐसा लफ़्ज़ जिस पर बहुत कुछ कहा, सुना गया, शायरी भी की गयी, वफ़ादारी का विलोम ( antonym, मुतज़ाद) है ग़ददारी , जिस तरह हर इंसान ख़ुद को और अपनी क़ौम को वफ़ादार साबित करने के लिए लम्बे चौड़े दावे करता रहता है इसी तरह हर शख़्स दूसरे इंसान और उसकी क़ौम को ग़ददार साबित करने मे भी देर नही...
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लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-02

लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-02 बुख़ारी व मुस्लिम में हज़रत अबू हरैरह रज़ि० से रिवायत है की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया –अल्लाह तआला के निन्नानवे नाम है, एक कम एक सौ, जो उन्हें याद करे जन्नती है ! तिर्मिज़ी और इब्ने माजा की रिवायत में उन नामों की तफ़सील भी आयी है और दोनों की रिवायतों में अलफ़ाज़...
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लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-01

लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-01 “अल्लाह” ख़ास नाम है रब तबारक व ताआला का, कहा जाता है की इस्मे आज़म यही है इसलिए की तमाम उम्दा सिफतों के साथ यही मौसूफ़ होता है, जैसे की कुरआन पाक में है... यानी वह अल्लाह है जिसके सिवा कोई माबूद नहीं,  जो छुपे-खुले का जानने वाला है, मुहाफ़िज़ है, जो रहम करने वाला...
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मर्द की कहानी

' मर्द ' जिसका दर्द सुनने समझने वाला कोई नही, मर्द को जज़्बात, एहसासात से ख़ाली और हवस से लबरेज़ ऐसा ज़ालिम मान लिया गया है जो औरतों को घूरता है, छेड़ता है, रेप करता है, शादी भी सिर्फ़ अपनी जिस्मानी ख़्वाहिश पूरी करने के लिए करता है, दिल भरने पर तलाक़ दे देता है, फिर दूसरी शादी कर लेता है, औरतों के...
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Unity

1948 में मग़रिबी ताक़तों ने मिलकर फ़िलस्तीन के एक बड़े इलाक़े को अरबों से छीन कर, उस पर यहूदियों को एक मुल्क बना कर दे दिया और इज़राईल बनते ही शुरू के 19 साल यहूदियों ने मुसलसल अपने पड़ोसी अरब मुल्कों से जंग जारी रखी और 1967 में येरूशलम (बैतुल मक़दिस) पर क़ब्ज़ा कर लिया. उसके बाद से आज तक Middle East...
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Parda

(ऐ रसूल) ईमानदारों से कह दो कि अपनी नज़रों को नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें यही उनके वास्ते ज्यादा सफाई की बात है ये लोग जो कुछ करते हैं ख़ुदा उससे यक़ीनन ख़ूब वाक़िफ है (30) और (ऐ रसूल) ईमानदार औरतों से भी कह दो कि वह भी अपनी नज़रें नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें और अपने बनाव...
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क़ब्र और दुनिया

क़ब्र में सिर्फ़ मिट्टी दिखाई देती है मगर उसके अंदर का हिस्सा हसरतों और अज़ाब से भरा होता है। उसका बाहरी हिस्सा मिट्टी से बना होता है। जबकि उसके अंदर परेशानिया और मुश्किलें , हसरत व अफसोस के साथ उबल रही होती हैं जिस तरह कि हाँडियां अपने अंदर मौजूद चीज़ों के साथ उबलती हैं। अल्लाह की क़सम! (क़ब्र ने) ऐसी...
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