लफ्ज़ “अल्लाह” की तहक़ीक़-01
“अल्लाह” ख़ास नाम है रब
तबारक व ताआला का, कहा जाता है की इस्मे आज़म यही है
इसलिए की तमाम उम्दा सिफतों
के साथ यही मौसूफ़ होता है, जैसे की कुरआन पाक में है...
यानी वह अल्लाह है जिसके
सिवा कोई माबूद नहीं, जो छुपे-खुले का
जानने वाला है, मुहाफ़िज़ है,
जो रहम करने वाला मेहरबान
है, वह अल्लाह जिसके सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं जो बादशाह है, पाक है, सलामती वाला
है, अमन देने वाला है, ग़लबे वाला है, ज़बरदस्त है, बड़ाई वाला है, वह हर शिर्क से
और शिर्क की चीजों से पाक है, वह "अल्लाह" पैदा करने वाला, बनाने वाला, सूरत बख्शने
वाला है, उसके लिए बेहतरीन पाकीज़ा नाम है, आसमान व ज़मीन की तमाम चीज़े उसकी तस्बीह
बयान करती है, वह इज्ज़तों और हुकूमतों वाला है!
इन आयातों में बाक़ी तमाम
नाम सिफ़त है और अफ्ज़ “अल्लाह” की सिफ़त है, पस असली नाम “अल्लाह” है जैसे एक और जगह
फ़रमाया की “अल्लाह” ही के लिए है पाकीज़ा और उम्दा नाम ! पस तुम उसको उन नामों से
पुकारो ! और फरमाता है “अल्लाह” को पुकारो या “रहमान“ को पुकारो जिस नाम से
पुकारो उसी के प्यारे-प्यारे और अच्छे–अच्छे नाम
है !
to be continued...
to be continued...
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